बहुत कुछ बदल चुका हैं।| Bahut kuchh badal Chuka Hain.



वो वक़्त वो लम्हा, 
वो यादें, और वो बातें, 
सब कुछ कहीं गुज़र चुका हैं ,

और तुझे ये एहसास तक नहीं शायद, 
पर बहुत कुछ बदल चुका हैं, 
शायद तुझे याद तक नहीं
के पहले हम कैसे साथ रहा करते थे, 
दुनिया की कोई परवाह नहीं थी,
बस जैसे थे वैसे रहते थें ,

और 

बेफिक्र होकर तेरे साथ वक़्त बिताती थी मैं 🙋
छोटी हों या बड़ी , सबसे पहले 
हर बात तुझे बताती थी मैं, 
तब तु भी मेरे साथ ,
हर वक़्त खुश रहा करता था, 
और अक्सर हसा देता था मुझें,
जब भी मेरा चेहरा मायूस रहता था, 


मायूस होती हु अब मैं जब जब ,
बस आपका Wait होता हैं,  
पर अब शायद मेरा मायूस चेहरा देख,
तु भी बस Irtitate हीं होता हैं ,


हमारा वो रूठने मानने वाला वक़्त कहीं गुम हों गया हैं,
और अब तुझे एहसास तक नहीं शायद 
की हमारे बिच बहुत कुछ बदल चुका हैं , 
की, ये तो हमेशा से सुना था मैंने,

की, वक़्त बहुत जल्दी गुज़र जाता है,
पर ये नहीं पता था मुझें,
की इश्क़ करने के बाद,
इंसान इतनी जल्दी बदल जाता है,


की अभी कल हि की तो बात हैं,
जब मैं तुम्हारे साथ बेफिक्र हंस रही थी, 
और इस दुनिया की परवाह किये बिना,
तुम्हारे हि लिए सबसे लड़ रही थी,
और तुम्हे भी तो तब मुझ पर 
बेइंतेहा प्यार आता था,
और कितना हि लड़ते थे तुम मुझसे ,
पर Last मैं तुम्हे भी तो मेरे हि पास क़रार आता था,


क्या मेरी तरह तुम्हारे दिल मैं ये ख्याल नहीं आता ,
और कैसे बदल गया हमारे बिच 
इतना सब कुछ,
क्या तुम्हारे मन मैं ये सवाल नहीं आता ,
की मैं फिर से तुम्हारे साथ 
वो पुरानी वाली ज़िंदगी जीना चाहती हुँ,
और तुम्हारे हाथों मैं अपना हाथ रख
बेफिक्र होकर तुम्हारे साथ चलना चाहती हुँ ,


थोड़ा गौर से ढूंढों ना 
वो पुराना साथ हमारा 
जो हमारे बिच खो चुका हैं,
और तुम्हे तो ये एहसास तक नहीं 
शायद 
पर बहुत कुछ बदल चुका हैं,


तुम्हे तो पता था ना, 
की मुझें पहले भी किसी ने तोड़ा हैं,
और मैंने उस बेवफा को भी,
बड़ी मुश्किल से छोड़ा हैं, 


मुझें लगा था की शायद मैं इस दर्द से 
कभी बाहर नहीं आ पाउंगी,
और ऐसा एतबार फिर से किसी पे कर नहीं पाउंगी,
पर तुमने मेरे लाख मना करने पर भी 
हार नहीं मानी,
और मैंने भी आखिर अपने दिल की सुनी,
दिमाग की बात नहीं मानी,


कितनी तकलीफ़ होती हैं,
किसी के यु बदल जाने से,
काश मैं तुम्हे ये समझा पाती,


और इन रिश्तों मैं पड़ी 
दरार को मैं अकेले हि मिटा पाती,
पर मैं उम्मींद करती हुँ तुमसे,
की तुम मेरी बातों की गहराइयों को समझ पाओ,
और तुम भी मेरे साथ मिलकर 
इस उलझे हुए रिश्तें को,
सुलझा पाओ,


क्युकी बस ये सोचने समझने मैं हीं
काफ़ी वक़्त निकल चुका हैं,

और तुम्हे तो एहसास तक नहीं,
शायद 😔😔
की बहुत कुछ बदल चुका हैं|..... 


END

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