Mai Tumhe Bhoolna Chahti Hoon |माई तुम्हें भूलना चाहती हूं |




कोई आहट होती है ना, तो लगता है जैसा,
तुम वाहा हो,
अब तो मुझे खबर भी नहीं,
कि मेरे ख्यालों के अलावा तुम रहते कहा हो,

मैं खुद को व्यस्त रखने की,
बेहद कोशिश करती हूं,
तुम्हें यकीन भी नहीं होगा,
तुम्हें भूलने के लिए,
क्या क्या नहीं करती हूं

पर याद आ जाती है तुम्हारी,
कौन रोक सकता है,
पहले भी आती थी,
पर आज कल खुद को संभालना,
मुश्किल हो रहा है |

कितने साल हो गए ना,
तुम्हारा चेहरा नहीं देखा,
बस थोड़ी सी देर के लिए,
तुम्हारा मुझसे मिलने का मन नहीं करता क्या?

आज भी आंखें मैं वेसे ही फ्रेम्स लगाता हूं क्या?
जैसा मुझे पसंद था!

याद है केसे हम हाथो मैं हाथ रख कर,
हम साथ मैं वो सफर तय किया करते थे
तुम्हें पता है में आज तक वो बातें,
खुद मैं भी नहीं दोहरायी,
जो तुमने कहा था,

सुनो...
किसिको बताना मत,
मैं कहना चाहती हूं तुमसे,

मुझे तुम्हारी याद आती है,
कोशिश भी करती हूं,
पर नहीं कह पाती हूँ,
एक ही फोटो है मेरी तुम्हारे साथ.. 

जो दिखाती है कि, हम कभी पास थे,
आँखे मेरी झूठ नहीं बोलेंगी,
एक बार देखना जरूर,
उनमें सारे ख्वाब तुम्हारे ही तो हैं...... 

मैं तुम्हें देख कर,
पूरी दुनिया भूल जाया करती थी..... 
और आज हर शख़्स मैं,
तुम ही तुम दिखते हो... 

सबका हाल पूछने को वक्त तो,
निक्काल लेते होगे ना तुम..
हमेशा मेरे हाल को ही क्यों,
नज़रंदाज़ करते हो तुम,

मैंने सुना था थोड़े दिन पहले,
तुम्हारा इस शहर आना हुआ था,
कुछ पुराने दोस्तों से मिले थे तुम,

पर क्या तुम्हें पता है?

तब मैं भी उसी जगह पर थी,
शायद उतनी खास नहीं रह गई अब मैं तुम्हारे लिए,
पर एक ख़ासियत है मुझमें,
जिस दिन मिलोगे ना मुझसे तुम,
कोई शिकवे नहीं होंगे दिल मैं,
बस मोहोबत होगी,

जो शायद उस दिन नज़र आ जाये तुम्हें,

मैं नहीं मांगूंगी साथ तुम्हारा,
दोबारा नहीं पकड़ुगी हाथ तुम्हारा,
बस एक बात कहना चाहूंगी,
जो कहना चाहती हूँ,
मैं तुम्हे भूलना चाहती हूँ......

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